अपनी बात

           





    देश की आजादी से पूर्व  लोकमान तिलक,लाला लाजपत राय,महात्मा गांधी,पं नेहरू को राश्टवादी नेता माना जाता था।क्योंकि यह लोग प्राचीन भारतीय परम्पराआों मान्यताआों धर्म और संस्कृति की वकालत करते थे। अजीब विडंबना है आज अगर कोई व्यक्ति इन बातों की दुहाई देता है तो वह काॅम्यूनल सम्प्रदायिक हो जाता है। कुछ लोगों का मानना  है इनके विस्तार अथवा इनकी विचारधारा के प्रसार से देष की षांति व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है। सवाल उन लोगों से है जो भारतीय धर्म ओर संस्कृति को खतरा समझते है जबकि भारतीय संस्कृति सर्वधर्म सम्भव पर केद्रित है तो भारतीय संस्कृति के पेरोकार कैसे खतरा हो सकते है।