तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के तिरूपत्तूर की रहने वाली 35 वर्षीय वकील स्नेहा 'नो कास्ट, नो रिलिजन' सर्टिफिकेट पाकर देश की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिसका आधिकारिक तौर पर कोई धर्म, कोई जाति नहीं है। नौ साल के अदालती संघर्ष के बाद 35 वर्षीया स्नेहा ने यह लड़ाई जीती। पेशे से वकील स्नेहा बताती हैं कि जब भी वह फॉर्म भरने के समय जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ देती थीं। उनके हर प्रमाण पत्र में जाति, धर्म रिक्त रहा है। उनका कहना है कि उनकी पहचान सिर्फ भारतीय के रूप में हो।
'नो कास्ट-नो रिलिजन' प्रमाणपत्र पाने वाली देश की पहली महिला बनी वेल्लोर की स्नेहा