उत्तर प्रदेश सरकार के यह कैसे अधिकारी है जो एक विधवा को कानून का उल्टा पाठ पढ़ाते हैं। कि कानूनी पचड़े में मत पढ़िए। न्याय मिलने में समय लगेगा, कुछ नहीं होगा। f.i.r न. लिखवाइये। यही सिखाया जाता है इन सबको ट्रेनिंग में,या यह नौकरी में आने के बाद ऐसे हो जाते हैं। आप इस वीडियो को देखिए और खुद ही अंदाजा लगाइए कि क्या जिले के आला अधिकारी को इस तरह की बातें करना शोभा देता है।
मामला गोरखपुर का है। जहां एक प्रॉपर्टी व्यवसाई की हत्या होती है और आरोप पुलिस के ऊपर है। आरोप है कि पुलिस के साथ होटल में हुयी झड़प में पुलिस ने व्यापारी को इतना मारा कि उसकी मृत्यु हो गई।
व्यापारी मनीष गुप्ता की पत्नी थानेदार जे एन सिंह व उसकी टीम के खिलाफ f.i.r. लेकर गुहार लगा रही है होती है और जिले के आला अधिकारी डीएम व एसएसपी उसको समझा रहे होते हैं।बारगेन कर रहे होते हैं। इनकी बेशर्मी तो देखिए। क्या ऐसे अधिकारियों का जिले में रहने का हक है और वह भी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर में।
अगर सीएम को उत्तर प्रदेश में ला ऐंड आर्डर की चिंता है तो ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करें ताकि दूसरों के लिए नजीर बन सके। यह कानून का शासन कदापि नहीं हो सकता जैसा कि वायरल वीडियो में सामने आया है। हलाँकि रात 12:00 बजे मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद थानेदार व दरोगा समेत छह लोगों के खिलाफ f.i.r. लिखी गई है। लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है पुलिस वाले फरार है। सीएम को चाहिए यह उनके गृह जनपद का मामला है इसको रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस के रूप में लें और इसकी न्यायिक जांच कराएं इससे कम कुछ भी नहीं।