देश के अनेक हिस्सों में अग्निपथ योजना का युवाओं की तरफ से विरोध हो रहा है, खासतौर पर ऐसे युवाओं द्वारा जो सेना में रेगुलर भर्ती की घोषणा का बीते तीन वर्षों से इंतजार कर रहे थे. बिहार, तेलंगाना, हरियाणा, यूपी और एमपी सहित कुछ प्रदेशों में युवाओं का यह विरोध काफी उग्र दिख रहा है. बिहार में इसकी तीव्रता ज्यादा है.
युवाओं को अपनी बात लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण ढंग से रखने का तरीका खोजना चाहिए. देर किये बगैर उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि हिंसा और तोडफोड से वे अपने ही देश और समाज की परिसम्पत्ति को क्षति पहुंचा रहे हैं. इस तरह वे अपना भी नुकसान कर कर रहे हैं.
इस बीच, बिहार में युवाओं के उग्र तौर-तरीकों, हिंसा और तोडफोड पर शासन के रवैये और रणनीति को लेकर सत्ताधारी गठबंधन के दोनो प्रमुख घटकों: भाजपा और जद(यू)में परस्पर मतभेद उभर आये हैं. भाजपा नेताओं ने प्रकारांतर से सरकार के शीर्ष नेतृत्व यानी मुख्य मंत्री नीतीश कुमार और उनकी अगुवाई वाले राज्य प्रशासन पर आरोप तक लगा दिए कि सरकार हिंसा कर रहे युवाओं से प्रभावकारी ढंग से नहीं निपट पा रही है.
पहली बात तो यह कि सरकार जद यू और भाजपा, दोनों की है फिर दोषारोपण एक ही पर क्यों? दूसरी जो ज्यादा महत्वपूर्ण बात है कि ऐसी परिस्थिति में शासन को क्या करना चाहिए, अगर भाजपा के पास इसका कोई ब्लूप्रिन्ट है तो वह मुख्य मंत्री या कैबिनेट के समक्ष रख सकती है. ऐसा न कर वह अपने ही एक घटक पर दोषारोपण क्यों कर रही है? तीसरी बात, जो जद यू नेताओं द्वारा भी कल कही गयी कि बिहार में जो भी असामान्य स्थिति पैदा हुई है, उसके लिए राज्य सरकार की कोई नीति जिम्मेदार नहीं है, यह सब राज्य प्रशासन के किसी कदम या फैसले से नहीं हुआ है. यह केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के कारण हुआ है. इसलिए युवाओं को समझाने की बड़ी जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार की है. राज्य सरकार कानून व्यवस्था को संभालने की हर संभव कोशिश कर रही है. हिंसा और उपद्रव कर रहे युवाओं की बड़े स्तर पर धरपकड हुई है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के एक बयान पर टिप्पणी करते हुए कल शाम जद यू के कुछ प्रमुख नेताओं ने कहा कि समझ में नहीं आता, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राज्य सरकार से क्या चाहते हैं? सड़क पर उतरे युवाओं की इतनी बड़ी भीड पर क्या पुलिस हर जगह गोलियां चलाए? उपद्रव कर रहे युवाओं को रोकने की पुलिस हर जगह कोशिश कर रही है.
निस्संदेह, आज की स्थिति बहुत जटिल और भयावह है. इस स्थिति से समाज और देश-प्रदेश को उबारने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. इसके लिए राज्यों या उनकी सरकारों को कोसने से कुछ भी हासिल नहीं होगा. हरियाणा, यूपी या मध्य प्रदेश में तो भारतीय जनता पार्टी की अपनी सरकारें हैं, उनके अपने मुख्यमंत्री हैं. इन प्रदेशों के हालात क्या सामान्य हैं? ऐसे में बिहार या वहां की सरकार के नेतृत्व पर निशाना साधने की गलती सत्ता की हिस्सेदार--भाजपा को स्वयं नहीं करनी चाहिए. प्रदेश भाजपा को इस मामले में, खासकर अग्निपथ जैसी अटपटी योजना पर अपने केंद्रीय नेतृत्व से मशविरा करना चाहिए ताकि बिहार के युवाओं को तत्काल शांत किया जा सके!
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं उनकी फेसबुक वॉल से)