बजट : जिंदगी तबाह करके चलाने का दावा !

सत्येंद्र पी ऐस 





 आदमी साल में 5 लाख कमा रहा है। उतने में आपके लिए काम करते उसकी लीद निकल रही है। फिर वह बैठकर टैक्स जोड़े। उससे टाइम बचे तो गाड़ी के पॉल्यूशन का कागज, फास्टैग, बीमा जोड़े। हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस की क़िस्त देखे। फिर बिजली बिल, गैस बिल, हाउस टैक्स, होम लोन की क़िस्त, कार लोन की क़िस्त देखे। फिर वह क्रेडिट कार्ड का तीन पांच देखे। बच्चों की फीस, स्कूल बस, ट्यूशन, कोचिंग, कोचिंग के टैक्सी वाले को देखे। 10-15 पासवर्ड याद रखे। और बच्चा नीट दे तो पेपर ही लीक हो जाता है, उसमें 2000 बेईमानी,खामी मिल जाती है। सिपाही भर्ती में घोटाला, आईएएस एग्जाम तक मे फर्जीवाड़ा पकड़ा जा रहा है। कितना गिनाएं? रोज रोज हत्या, बलात्कार, एक्सीडेंट, लूट, चोरी के डर में जीना एक अलग ही समस्या है।

मतलब आदमी को आपने बना क्या रखा है भाई साहब? यह कौन सी शासन व्यवस्था है आपकी। लोग पगलाए हुए हैं,इसलिए आपको बार बार सत्ता में ला देते हैं,इसलिए नहीं कि आप उनके जीवन को बड़ा बढ़िया बना रहे हैं। सारे शासक प्रशासक, उद्योगपति मर मरा जाएं तब भी जनता आराम से जी लेगी। कोरोना ने पब्लिक को बता दिया है कि दाल भात सब्जी रोटी मिलती रहे, उसके अलावा आपकी जितनी चीज़ें हैं, बकवास हैं।

पहले 2.5 लाख रुपये सालाना कमाने वालों पर टैक्स नहीं लगता था। 5 लाख रुपये तक 10 प्रतिशत, 10 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत और उसके ऊपर 30 प्रतिशत कर लगता था।

उसके बाद सरकार नया टैक्स ढांचा लाई, जिसमे 6 स्लैब में अलग अलग कर की दर है। कहा।कि इसमें कोई छूट नहीं मिलेगी, और कर कम कर दिया गया है। 

दोनों विकल्प रखा गया कि चाहे आप पुराने वाले से दीजिए या नई दर से। स्थिति यह है कि पुरानी दर से अभी भी एक तिहाई लोग कर दे रहे हैं। वजह यह है कि वह होम लोन वगैरा में फंसा दिए गए हैं और पुराने दर पर साल में 10 हजार रुपये कर बच जाता है।

अब ताज़ा बजट में पुराने ढांचे को पहले जैसा रखा गया है, नए वाले में छूट बढ़ा दी गई है। सरकार की कोशिश है कि लोग नए वाले कर में चले जाएं। उसके बाद अगले बजट में ये कहेंगे कि 6 स्लैब बहुत जटिल है। 3 स्लैब में जंता की भलाई है, उस बहाने ये लोवर मिडिल क्लास, नौकरी पेशा लोगों को लूटेंगे।

हमको यही समझ में नहीं आता कि यह पर्सनल इनकम टैक्स लेने की जरूरत क्या है?नौकरी पेशा आदमी को पूरा टैक्स काटकर ही सेलरी थमा दीजिए। कोई मास्टर है, बाबू है, सिपाही है तो उसे क्यों आयकर भरना है? आपको पता है कि आप कितनी सेलरी दे रहे हैं,पहले से ही टैक्स काटकर रख लीजिए 30 परसेंट, 40 परसेंट जितना भी कर लेना हो, उतना काटकर सेलरी दे दीजिए। 

उसके बाद तो उसको आप लूटेंगे ही। रेस्टोरेंट में खाना खाएगा, उस पर टैक्स लेंगे। गाड़ी पर टैक्स लेंगे। टोल पर टैक्स लेंगे। नमक पर टैक्स लेंगे। सुलभ शौचालय में मूतने हगने चला गया तो वहाँ टैक्स लेंगे। फिर ये काहे का इनकम टैक्स स्लैब बनाकर उसका दिमाग खा रहे हैं?

आप सत्ता छोड़कर भागिए। हम पर एहसान न कीजिए कि आप हमारी जिंदगी चला रहे हैं। आप हमारी जिंदगी चला नही रहे हैं, तबाह किए हुए हैं, दावा है कि आपने सब शानदार कर रखा है!

(  वरिष्ठ पत्रकार व सत्येंद्र पी ऐस की फेसबुक वॉल से)