विनेश फोगाट, चैंपियनों की चैंपियन

 

ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि है। वह भी एक ऐसी लड़की का जीतना सम्पूर्ण महिलाओ के लिए गौरव की बात है, जिसने बचपन में ही पिता को गंवा दिया, मां कैंसर से जूझ रही है।

विनेश फोगाट वही लड़की है जिसे महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के विरोध में धरने पर बैठने पर दिल्ली के जंतर मंतर में सड़क पर घसीटा गया था। शायद वह फोटो याद थी जब उस लड़की के साथ तिरंगे को भी घसीटा जा रहा था। उसके बावजूद वह लड़ी।  एक ही दिन में 3 वैश्विक पहलवानों को पटका। वह भी एक ऐसी पहलवान को भी पटका,जो पिछले 84 अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में एक बार भी नहीं हारी थी।

देश के हर किसान, हर संघर्षशील युवा और युवती के लिए विनेश फोगाट एक आदर्श हैं। हमें उनका स्वागत एक गोल्ड मेडलिस्ट से कहीं अधिक करने की जरूरत है। हमें जिस भी तरीके से बन पड़े स्वागत करना चाहिए। इसके लिए एयरपोर्ट से लेकर विनेश के घर तक मॉनव श्रृंखला बनाई जा सकती है। जनता की तरफ से पुरस्कार देने के लिए एक कोष बनाया जा सकता है जिसमें हर नागरिक अपनी तरफ से पुरस्कार राशि डाले और फिर उसे नकद पुरस्कार के रूप में विनेश को दे दिया जाए। अलग अलग राज्यों के लिए अलग अलग ज़न पुरस्कार कोष बनाया जा सकता है।

ओलंपिक या किसी भी अंतराष्ट्रीय खेल में पदक जीतना देश के लिए गर्व की बात होती है। मुझे तमाम खिलाड़ी पसन्द नहीं हैं जो साम्प्रदायिक, स्वार्थी, धुर जातिवादी, जनेऊ दिखाते फिरने वाले और घृणित स्तर के नफरती हैं। लेकिन उनके मूल कार्य मे उनकी कन्सिसटेन्सी का हमेशा सम्मान करता हूँ। कोई बहुत बढ़िया शास्त्रीय गायिका हो, तबला बजाने वाला हो तो कोई जरूरी नहीं कि उसकी राजनीतिक सामाजिक चेतना विकसित हो और वह नफरती गैंग का विरोधी हो। लेकिन उसके आर्ट का सम्मान किया जाता है। विनेश फोगाट किसी पार्टी की मेम्बर नहीं हैं उसके बावजूद नफरती लोगों ने उसके खिलाफ नफरत उगली और अभी भी उगल रहे हैं। मुझे लगता है कि वह किसी दल या विचारधारा की मेम्बर होती तब भी उसका सम्मान किया जाना चाहिए। और अभी भी अगर वह 6 महीने बाद बिक जाए, भाजपा की सदस्य बन जाए तब भी मैं उसका सम्मान करूंगा, किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए। उसके सम्मान किए जाने की वजह मैंने ऊपर लिखी है। और सम्भव है कि अन्य जाटों या किसान जातियों की तरह विनेश के मन मे भी भाजपा के लिए आंतरिक प्रेम हो और कल को बृजभूषण शरण सिंह सपा में शामिल हो जाएं, भाजपा उनको पार्टी से निकाल दे तो वह हरियाणा में भाजपा की चीफ कम्पेनर बन जाए। नशा टीम को इस आइडिया पर भी काम करना चाहिए।

विनेश को बाहर करने में साजिश हो जाने की वजह भी लगती है। उसके सिल्वर मेडल तक पहुंचने पर प्रधानमंत्री से लेकर किसी नेता की कोई बधाई नहीं मिली, उस कैंप में सन्नाटा था। और कुछ घटिया लोगों को छोड़कर पूरा देश खुश था।

कुश्ती का नियम अब भारत का हर नागरिक जान चुका है।  3-4 किलो के अंतर पर भार वर्ग बनता है और उस भार वर्ग में बने रहने के लिए खिलाड़ी कड़ी मेहनत करते हैं जिससे वह अपने भार वर्ग में बने रहें। अगर उस भार वर्ग से एक ग्राम भी वजन बढ़ जाये तो खिलाड़ी बाहर कर दिया जाता है।

ऐसे में अगर खिलाड़ी के देश के लोग ही साजिश करना चाहें तो बड़े आराम से किसी खिलाड़ी को बाहर करवा सकते हैं। यह बहुत आसान काम है। 

हम भारतीयों के लिए विनेश फोगाट सिल्वर मेडल विजेता हैं।एक भारतीय होने के नाते मेरी यह भावना है और हर भारतीय की यह भावना होनी चाहिए। साथ ही इंटरनेशनल कुश्ती के तमाम गोल्ड मेडलिस्ट ने यह डिमांड की है कि जब वह 50 किलो से कम में सिल्वर मेडल जीत गई थी तो उसे सिल्वर मिलना ही चाहिए। कुश्ती के नियम में बदलाव की भी मांग उठ रही है, जिसमें एक मांग यह भी है कि जिस लेवल तक पहलवान ने आपके मानक के मुताबिक रहकर जीता है, वहां तक का मेडल उसे दे दिया जाए। सुबह सबेरे वजन तौलने के नियम में भी बदलाव की अंतरराष्ट्रीय मांग चल रही है।

भारत के नागरिक अगर अपनी विजेता पहलवान को पुरस्कृत करके दुनिया को एक संदेश भेजते हैं तो सम्भव है कि ओलंपिक संघ अपने क्रूर नियमों में बदलाव करे। विनेश फोगाट का सिर्फ 100 ग्राम वजन बढ़ा है, उसने कोई अपराध नहीं किया है कि उससे पहले की जीत भी छीन ली जाए। अगर हम अपनी विजेता को ओलंपिक से ज्यादा सम्मान दे देंगे तो उन लोगों को भी लाज शर्म आएगी और आइंदा दुनिया के किसी और खिलाड़ी के साथ वह ऐसा पाप नही  करेंगे। साथ ही अयोग्य करार दिए जाने के बाद घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों को भी कुछ न कुछ लाज शर्म जरूर आएगी।
( लेखक व वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र पी ऐस की  फेसबुक वॉल से )