धुआंधार लड़ाका विनेश फोगाट




 विनेश फोगाट ने अपने जीवन मे अद्भुत संघर्ष किया। इस लड़की की पूरी जिंदगी हादसों से भरी रही और हर संकट को इसने सिर के बल खड़ा कर दिया। 
खेल वगैरा के बारे में बहुत जानकारी नहीं है। कुश्ती का नियम कायदा थोड़ा बहुत विनेश फोगाट की वजह से ही जाना। उसके बाद नेट से, वेबसाइट्स से, सोशल मीडिया से विनेश के बारे में जाना।
मैं इसलिए भी आकर्षित हुआ कि मेरी जिंदगी भी विनेश से मिलती जुलती है। जैसे ही थोड़ा खुश फील करता हूँ, मुसीबत से लड़ने का एक नया टास्क मिल जाता है। विनेश के साथ भी  वही होता रहा है। 
हाल में उसे 53 किलो वर्ग में नहीं खेलने दिया गया तो वजन कम करके 50 किलो वर्ग में खेला। पहली कुश्ती में ही ऐसी पहलवान से लड़ा दिया गया जो 80 से ऊपर कुश्तियों में हारी ही नहीं थी, विश्व चैंपियन थी। उसको पटका। दूसरी को पटका। तीसरी को पटका। ऐसा लगता था कि उसने ठान लिया था कि अब बहुत हुआ।
पूरे देश में फोगाट को लेकर उत्साह था। खासकर सरकार विरोधी लोगों कह रहे थे कि अब नरेंद्र मोदी मुंह कैसे दिखाएंगे? एक ब्रॉन्ज मेडल।मिलने पर प्रधानमंत्री ने बाकायदा मनु भाकर से बात की शूटिंग कराई थी, जबकि इस लड़की के सिल्वर मेडल पक्का होने पर सांप सूंघ गया था।
प्रधानमंत्री का ट्वीट आया, लेकिन तब आया, जब यह तय हो ज्ञक कि विनेश फोगाट को फाइनल।में खेलने ही नहीं दिया जाएगा। तमाम भाजपा नेताओं के ट्वीट आने लगे। जो बड़े नेता थे, वह सहानुभूति दिखा रहे थे और जो उनके चेले चमचे चट्टे बट्टे और भक्त थे, वह "दबदबा कायम है" ट्वीट कर रहे थे, जो ब्रज भूषण सिंह से जुड़ा डायलॉग है। इसके अलावा औकात दिखा दिया, औकात समझ मे आ गया, पहले भी कपड़ा उतारी थी इस बार भी उतार देती तो 100 ग्राम वजन कम हो जाता आदि आदि जैसे सैकड़ों ट्वीट और पोस्ट्स से सोशल मीडिया भर दिया भाजपा नेताओं और उनके समर्थकों ने।
खैर... कुश्ती संघ का फैसला आया कि फोगाट को कोई मेडल नहीं दिया जाएगा। हम गंवई कुश्ती जानने वाले लोग तो मेडल का नाम भी नहीं जानते थे। बस इतना पता था कि जो पटक दे, चित कर दे, वही धाकड़ है, वही विजेता है।
हमारे लिए यही जीत है कि उसने सबको पटक दिया। आखिरी एक बच्ची बची थी, उसको भी पटक देती। लेकिन उसे कुश्ती।लड़ने ही नहीं दिया गया और जिससे भी फोगाट लड़ी, उससे जीतकर लौटी है।
वह तमाम मोर्चो पर लड़ी और कहीं जीती कहीं हारी। महाबली सत्ता से भी लड़ी। भारत के उन गद्दारों को भी उसने पटका है, जो उसके मेडल कन्फर्म होने पर दुःखी थे और जब उसे खेल से बाहर करा दिया गया तो खुश हुए।  उसने देश के गद्दारों के चेहरे से नकाब नोच लिया, जो भारत के गोल्ड मेडल न पाने की कामना अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए करते हैं।
देश Vinesh Phogat का सम्मान कर रहा है। यह जारी रहना चाहिए।
सत्येंद्र पी ऐस