एक तरफ़ गोदी मीडिया तो एक तरफ़ यूट्यूब पर फेक न्यूज़!

टीवीपुरम् सत्ता-भक्ति के कारण आज 'गोदी' कहलाता है! यूट्यूब चैनलों का 'बड़ा हिस्सा' बहुत जल्दी अविश्वसनीय, बेतुका और हास्यास्पद चुका है. ऐसे में सूचना और तथ्य जानने के लिए आम लोग क्या देखें-सुनें, किस पर भरोसा करें!
गिने-चुने अखबार, कुछ वेबसाइटें और कुछ यूट्यूब चैनल ही बचे हैं, जो अब भी लोगों तक सही सूचना, तथ्य और विचार पहुंचाने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं. पर ये भी कब तक! हमारे देश की राजनीति की तरह मीडिया का यह पराभव अभूतपूर्व है. फेक न्यूज, प्रायोजित खबर और अज्ञान का ऐसा अंधड़ पिछली सदी में कभी नहीं देखा गया! लेकिन इक्कीसवीं सदी के दूसरे-तीसरे दशक में यह खतरनाक रूप लेकर सामने आया है!
कौन जाने कब तक यह सिलसिला जारी रहेगा! चिंताजनक स्थिति है कि आज समाज में फेक-न्यूज और झूठे प्रोपेगेंडा को न्यूज के तौर पर और अंधविश्वास-अज्ञान को ज्ञान बनाकर पेश करने की होड़ सी लगी हुई है.. 
ऐसे दौर में आम लोग जो सूचना, जानकारी और ज्ञान के लिए अखबार या टीवी देखते आ रहे हैं, वे क्या करेंगे? ऐसे करोड़ों मासूम, जेनुइन और जिज्ञासु पाठकों-दर्शकों के साथ हमारे कथित मेनस्ट्रीम मीडिया के बड़े हिस्से ने कितना बड़ा धोखा किया है! आज राहुल सांकृत्यायन होते तो जरूर कहते-ऐसे कथित मीडिया की जल्दी क्षय हो!